रीसेंट एडवांसेज एंड इनोवेशन इन बायोलॉजिकल एंड अप्लाइड साइंसेज’ पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का अयोजन

एसजीटी टाइम्स रिपोर्टर

गुरुग्राम,जून

फैकल्टी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेस के द्वारा 14 जून से 16 जून के बीच सोसायटी फॉर एकेडमिक रिसर्च (एसएआरआरडी) और आईसीएआर- सेंट्रल सॉयल सैलिनिटी रिसर्च इंस्टीट्यूट, करनाल के सहयोग से रीसेंट एडवांसेज एंड इनोवेशन इन बायोलॉजिकल एंड अप्लाइड साइंसेज’ (आरएआईबीएएस-2022) पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। 

 डॉ. देवेंद्र कुमार यादवा (असिस्टेंट डायरेक्टर जनरल, इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च, कृषि भवन, नई दिल्ली) ने इस सम्मेलन का उद्घाटन किया। अपने उद्घाटन भाषण में डॉ. यादव ने कृषि और किसानों के कल्याण हेतु एवं केंद्र सरकार की नीतियों की जानकारी दी। केंद्र सरकार किसानों की आय को बढ़ाने के लिए सब्सिडी दरों पर इनपुट प्रदान करके, किसानों की उपज के लिए बाजार तक पहुंच प्रदान करके, फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन और कई अन्य योजनाओं द्वारा किसानों की आय को दोगुना करने में गहरी दिलचस्पी ले रही है।

इस अवसर पर प्रो. ओपी कालरा, वाइस चांसलर, प्रो. विकास धवन, पीवीसी (अकादमिक), प्रो. (डॉ.) अशोक कुमार, डीन ,फैकल्टी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेस, डॉ. आर.के. यादव, हेड ऑफ सॉयल एंड क्रॉप मैनेजमेंट, (भाकृअनुप-सीएसएसआरआई) डॉ. जुनिया ओनिशी, प्रोजेक्ट लीडर जापान इंटरनेशनल रिसर्च सेंटर फॉर एग्रीकल्चरल साइंसेज, जापान और उनकी टीम, डॉ. नितिन तंवर, प्रेसिडेंट, SARRD वहां उपस्थित थे।

सम्मेलन में कुल 120 प्रतिनिधि शारीरिक रूप से उपस्थित थे और लगभग 130 प्रतिभागी आभासी रूप से शामिल हुए।

डॉ. समंदर सिंह, प्रेसिडेंट, इंटरनेशनल वीड साइंस सोसाइटी, यूएसए और निदेशक (एग्रोनॉमी), माइनर इरिगेशन कमांड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (MICADA) मुख्य वक्ता थे। डॉ. सिंह ने अपने भाषण में सिंचाई और खरपतवार प्रबंधन के बारे मे बताया। उन्होंने सिफारिश की, कि किसानों को रासायनिक खरपतवार नियंत्रण के बजाय, एकीकृत खरपतवार प्रबंधन का पालन करना होगा। पानी को बचाने के लिए स्प्रिंकलर और ड्रिप सिंचाई को इस्तेमाल करने की आवश्यकता हैं, जो एक दुर्लभ प्राकृतिक संसाधन बन गया है।

तकनीकी सत्र के दौरान जापानी रिसर्चर्स, आईसीएआर और हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों और एसजीटी विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने 20 शोध पत्र प्रस्तुत किए।

प्रस्तुतियाँ जापानी तकनीक, एक कट-सॉइलर मशीन के उपयोग द्वारा लवणीय और सॉडिक मिट्टी के प्रबंधन के बारे में थीं। यह पता चला कि कट-सॉइलर चावल के भूसे को इकट्ठा करने और मिट्टी में 45-50 सेमी की गहराई पर डालने में सक्षम था। इसने दोहरे लाभ प्रदान किए, सबसे पहला:

1 चावल के भूसे को प्रबंधित किया गया और मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ के रूप में शामिल किया गया,

2 इसने मिट्टी की बेहतर संरचना के कारण मिट्टी की घुसपैठ में सुधार किया, जिससे जड़ क्षेत्र के नीचे लवण को बाहर निकालने में मदद मिली।

इससे खारी परिस्थितियों में प्रौद्योगिकी में सुधार और सबसे महत्वपूर्ण रूप से मिट्टी में फसल अवशेषों को शामिल किया, इसकी उर्वरता बढ़ाई और उत्पादकता में सुधार किया और चावल के भूसे को जलाने से होने वाले पर्यावरण प्रदूषण को कम किया।

इस अवसर पर, फैकल्टी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेस ने कमर्शियल, वाणिज्यिक बागवानी, मशरूम की खेती, एग्रीकल्चरल वेस्ट मैनेजमेंट, फूलों की खेती और भूनिर्माण, मधुमक्खी पालन और ऑर्गेनिक खेती पर अपने शोध और प्रदर्शन पर प्रकाश डाला।

युवा रिसर्चर्स, पोस्टग्रेजुएट स्कॉलर्स और छात्रों की भागीदारी उल्लेखनीय थी।

सम्मेलन ने युवा वैज्ञानिकों को अपनी विशेषज्ञता के क्षेत्र में अपने भविष्य और संबद्ध विज्ञान के सतत विकास में योगदान करने का एक बड़ा अवसर प्रदान किया।

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