B Virus: हॉन्गकॉन्ग में बंदर के काटने से इंसान को जानलेवा संक्रमण
Reported by Harsh Tripathi
Hong Kong में पार्क में घूमने गए एक व्यक्ति को बंदर ने काट लिया. इसके बाद उसे दुर्लभ लेकिन जानलेवा B Virus संक्रमण हो गया, अब वह ICU में है. यह वायरस बहुत कम इंसानों को अपनी चपेट में लेता है. लेकिन घातक है.
सेंटर फॉर हेल्थ प्रोटेक्शन (CHP) के मुताबिक बंदरों में इस वायरस का असर कम देखने को मिलता है. या फिर वो एसिम्प्टोमैटिक होते हैं. संक्रमित व्यक्ति के परिवार वालों ने बताया कि पीड़ित व्यक्ति कल शाम कंट्री पार्क में घूमने गया था. इस पार्क को मंकी हिल भी कहते हैं. हॉन्गकॉन्ग में B Virus का इंसानों में संक्रमण का पहला केस है.
बी वायरस को मंकी बी वायरस या हर्पिसवायरस सिमिए भी कहते हैं. बहुत ही दुर्लभ होता है जब यह वायरस किसी इंसान को संक्रमित करें. इस वायरस की खोज 1932 में हुई थी. 2019 तक इस वायरस की वजह से सिर्फ 50 लोग संक्रमित हुए थे. जिसमें से 21 लोगों की मौत हुई थी. इन्हें बंदरों ने काटा था या फिर नोंचा था.
कैसे फैलता है बंदरों से इंसानों में यह वायरस?
बंदरों के काटने या नोंचने पर उनके शरीर का तरल पदार्थ, जैसे- थूक या टूटे हुए संक्रमित टिश्यू या स्किन इंसान को संक्रमित कर देते हैं. सेंटर्फ फॉर डिजीस कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक अब तक सिर्फ एक ही बार ऐसा हुआ है कि जब किसी इंसान से दूसरे इंसान को बी वायरस का संक्रमण हुआ हो.
चीन में बी वायरस का पहला केस 2021 में आया था
इस इंसान के दिमाग और रीढ़ की हड्डी के चारों तरफ मौजूद लिक्विड में B Virus का संक्रमण मिला है. बी वायरस के शुरुआती लक्षण फ्लू जैसे थे, बुखार आना. सर्दी लगना, मांसपेशियों में दर्द, थकान और सिरदर्द. बाद में सांस लेने में दिक्कत, बेचैनी, उल्टी आना, पेट में दर्द और हिचकियां भी आ सकती हैं.
दिमाग में पहुंचा संक्रमण तो आएंगी हिचकियां
हिचकियां तब आती हैं, जब वायरस आपके दिमाग में प्रवेश करने लगता है. साथ ही इंसान के उस अंग या हिस्से में दाग बन सकता है, जहां पर बंदर ने काटा या नोंचा हो. वहां लगातार खुजली होती रहती है. बाद के स्टेज में संक्रमण की वजह से दिमाग और स्पाइनल कॉर्ड में सूजन आ जाती है. इससे भयानक दर्द होता है. शरीर सुन्न होने लगता है.
बाद का स्टेज और खतरनाक हो जाता है...
मांसपेशियों का दिमाग के साथ सामंजस्य खत्म हो गया है. नर्वस सिस्टम फेल होने लगता है. या कमजोर हो जाता है. सांस लेने में ज्यादा दिक्कत होने लगती है. इस वायरस के संक्रमण को ठीक करने के लिए एंटी-वायरल दवाओं के अलावा सपोर्टिव केयर की जरूरत है. ताकि पीड़ित व्यक्ति का शरीर लगातार बीमारी से संघर्ष करता रहे.