कोर्ट ने पूछा ” इस शहर में इंसान की जान की कीमत क्या है?”

Reported by Harsh Tripathi

बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में एक अहम सवाल उठाया – “इस शहर में इंसान की जान की कीमत क्या है?” यह प्रश्न उठा जब मध्य मुंबई के एक सार्वजनिक उद्यान में खुले पानी के टैंक में दो बच्चों की मौत हो गई थी। इस हादसे ने न केवल एक परिवार को अपने प्यारे को खोने का दुख दिया, बल्कि यह भी सवाल उठाया कि क्या हमारे नगर निकाय की ज़िम्मेदारियों की कमी की वजह से हमारी सुरक्षा खतरे में है?

बॉम्बे हाईकोर्ट की एक बेंच ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए साहित्यिक एवं सरल भाषा में इसे उजागर किया। हादसे के बाद सार्वजनिक उद्यान में एक गहरे पानी के टैंक में बच्चों की मौत का संघर्ष, और उसे ढकने की अनदेखी, नगर निकाय की लापरवाही का सवाल खड़ा हो गया।

यह घटना दरअसल एक चिंताजनक संकेत है कि हमें अपनी सुरक्षा को लेकर सजग और सावधान रहने की ज़रूरत है। बॉम्बे हाईकोर्ट की न्यायिक बेंच ने इस मामले को गंभीरता से लिया और नगर निकाय को ज़िम्मेदारी लेने के लिए आदेश दिया। इससे साफ होता है कि सामाजिक जागरूकता और सुरक्षा के मामले में न्यायिक प्रक्रिया का महत्व अत्यधिक है।

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