पर्यावरण संरक्षण के लिए जल बचाने का संदेश; फूलों की होली में रंग गया एसजीटी परिसर

गुरुग्राम, 4 मार्चः पर्यावरण संरक्षण के लिए जल बचाने का संदेश देते हुए एसजीटी विश्वविद्यालय परिसर में शनिवार को ‘राधा-कृष्ण संग फूलों की होली’ समारोह का आयोजन किया गया। इस समारोह में पूरे देश की लोक-संस्कृति की झलक एक मंच पर देखने को मिली। गुजराती, हरियाणवी, मिजोरम, राजस्थानी, दक्षिण भारतीय, बॉलीवुड तथा ब्रज की होली पर नृत्य की प्रस्तुतियों के साथ ही विश्वविद्यालय का पूरा परिसर होली के रंगों से सराबोर हो गया। यहाँ की होली का रंग थोड़ा अलग जरूर था और वह रंग था फूलों की होली का। फूलों की होली पर्यावरण संरक्षण के लिए जल बचाने का संदेश देती है।

समारोह में एसजीटी विश्वविद्यालय के चांसलर पद्मश्री श्री रामबहादुर राय, स्वामी विवेकानंद योग अनुसंधान संस्थान, महलुरु के कुलपति, डॉ एचआर नागेंद्र, स्वामी विवेकानंद योग अनुसंधान संस्थान विश्वविद्यालय, बेंगलुरू के निदेशक, वित्त एवं प्रशासन श्री एच. आर. दयानंद स्वामी, भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय संगठन सचिव श्री मुकुल कानिटकर, दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल श्री नजीब जंग, दशमेश एजुकेशनल चैरिटेबल ट्रस्ट की चेयरपर्सन श्रीमती मधुप्रीत कौर चावला, मैनेजिंग ट्रस्टी श्री मनमोहन सिंह चावला, संरचना फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक श्री अमोघ देव राय तथा अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।

समारोह की शुरुआत वेलकम डांस- ‘ब्रजे बसंतम् नवनीत चौरम्’ से शुरू हुई। ‘होली आई रे’ गाने के बोल पर जब छात्र-छात्राओं ने गुजराती नृत्य गरबा करना शुरू किया तो पूरा पांडाल होली के रंगों से रंग गया। लोक नृत्य बिहू की प्रस्तुति से असम की मिट्टी की सोंधी सुगंध से पूरा माहौल सराबोर हो गया। ‘होलिया में उड़े रे गुलाल…’ राजस्थानी पारंपरिक नृत्य पर तो वहाँ उपस्थित सभी लोग होली के रंग में इस तरह रंगे कि वे इस नृत्य पर झूमते हुए नृत्य करने लगे। समारोह में हास्य पर आधारित कॉमेडी- ‘सबसे बड़ा मूर्ख’ को लोगों ने काफी सराहा। लोकनृत्य बैंबू डांस में मिजोरम की लोक-परम्परा की झलक देखने को मिली।

समारोह के अन्य आकर्षण रहे- दक्षिण भारतीय लोक नृत्य और ब्रज की होली पर आधारित नृत्य। छात्र-छात्राओं ने अपने नृत्य के माध्यम से राधा-कृष्ण की लीलाओं को मंच पर प्रस्तुत किया। महाराष्ट्र के कोली स्टाइल होली नृत्य का दर्शकों ने खूब आनंद उठाया। हरियाणा के कोरड़ा होली लोक नृत्य ने इस राज्य की संस्कृति से दर्शकों का परिचय कराया।

पारंपरिक, शास्त्रीय तथा बॉलीवुड पर आधारित होली गीतों पर नृत्य ने पूरे माहौल को होलीमय बना दिया। ‘मीठे रस से भरी राधा रानी लागे…; अब राधे रानी दे दारो बंसी मोरी… तथा खेलो मेलो होली खेलो…’ गीत पर जब एसजीटी विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने नृत्य करना शुरू किया तो ऐसा लगा मानो एसजीटी परिसर मथुरा-वृंदावन के माहौल में बदल हो गया है। समारोह के अंत में राधा-कृष्ण की वेश-भूषा में जब छात्र-छात्राएँ मंच पर आए तो लोगों को एक अलग अनुभूति हुई और वहाँ उपस्थित सभी लोगों ने ‘राधा-कृष्ण संग फूलों की होली’ खेली और होली के रंग में पूरी तरह सराबोर हो गए।

होली समारोह तमाम छात्र-छात्राओं तथा अध्यापकों की कड़ी मेहनत का परिणाम रहा। यह पूरा समारोह चेयरपर्सन श्रीमती मधुप्रीत कौर चावला के निर्देशन में तैयार किया गया और तैयारियों में डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर डॉ. विजय शर्मा की भी बड़ी भूमिका रही। समारोह में एसजीटी विश्वविद्यालय के अधिकारियों समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।

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